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॥ महर्षि आश्वालायन द्वारा प्रजापति से ब्रह्मविद्या का याचन ॥ |
शनिवार, 19 जून 2021
गुरुवार, 17 जून 2021
॥उपनिषद॥
॥उपनिषद॥
(रचयिता-नवीन रोहिला)
निराकार है वा साकार क्या रूप है उस परम-आत्मा का।
क्या है मूल कारण इस तन और निहित आत्मा का॥
क्या है यह विचित्र-लीला और क्या है यह मोहिनी माया।
किन-किन तत्वों से बनी है यह हम सब जीवों की काया॥
क्या-क्या हैं पंच-महाभूत और क्या-क्या इनका काम है।
उस महान परम सत्य-रूप चेतना का और कौनसा धाम है॥
कहाँ उत्तर मिलता है ऐसे-ऐसे गूढ़-प्रश्नों का।
कौन है जो बताता सम्बन्ध प्रकृति और पुरुष का॥
कौन है जो भरते हैं ब्रह्म-ज्ञान जीव के सुंदर-मन में।
बनाकर सरल-सुगम मोक्ष-मार्ग को चुगते हैं कांटे पथ में॥
उपनिषद ही हैं जो करते हैं ये कार्य सारा।
अधूरी है इनके बिना मानवों की यह वसुंधरा॥
धन्य हैं इनके चिंन्तक धन्य हैं इनके दृष्टा।
समाये जो इनकी लय में बने वो समकक्ष सृष्टा॥
बुधवार, 16 जून 2021
अद्वैतवाद् का मूलाधार
"अद्वैतवाद् का मूलाधार"
(माण्डूक्योपनिषद्)
मंगलवार, 15 जून 2021
दहर-पुण्डरीक में ब्रह्म की उपासना
दहर-पुण्डरीक में ब्रह्म की उपासना





























अचिन्त्य के साकार रूप का आनन्द ----------------------------------------------------------------- सेस गनेस महेस दिनेस, सुरेसहु जाहि निरंतर गा...

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दहर-पुण्डरीक में ब्रह्म की उपासना छान्दोग्योपनिषद् (८।१।१) भावार्थ: यह मानव-शरीर ब्रह्मपुर है। इसके अन्दर एक क्षुद्र लघु कमल -कुसुम के आक...
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॥ महर्षि आश्वालायन द्वारा प्रजापति से ब्रह्मविद्या का याचन ॥
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॥उपनिषद॥ (रचयिता-नवीन रोहिला) निराकार है वा साकार क्या रूप है उस परम-आत्मा का। क्या है मूल कारण इस तन और निहित आत्मा का॥ क्या है यह व...