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॥ महर्षि आश्वालायन द्वारा प्रजापति से ब्रह्मविद्या का याचन ॥ |
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अचिन्त्य के साकार रूप का आनन्द ----------------------------------------------------------------- सेस गनेस महेस दिनेस, सुरेसहु जाहि निरंतर गा...

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दहर-पुण्डरीक में ब्रह्म की उपासना छान्दोग्योपनिषद् (८।१।१) भावार्थ: यह मानव-शरीर ब्रह्मपुर है। इसके अन्दर एक क्षुद्र लघु कमल -कुसुम के आक...
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॥ महर्षि आश्वालायन द्वारा प्रजापति से ब्रह्मविद्या का याचन ॥
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॥उपनिषद॥ (रचयिता-नवीन रोहिला) निराकार है वा साकार क्या रूप है उस परम-आत्मा का। क्या है मूल कारण इस तन और निहित आत्मा का॥ क्या है यह व...
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