मंगलवार, 6 जुलाई 2021
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अचिन्त्य के साकार रूप का आनन्द ----------------------------------------------------------------- सेस गनेस महेस दिनेस, सुरेसहु जाहि निरंतर गा...
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दहर-पुण्डरीक में ब्रह्म की उपासना छान्दोग्योपनिषद् (८।१।१) भावार्थ: यह मानव-शरीर ब्रह्मपुर है। इसके अन्दर एक क्षुद्र लघु कमल -कुसुम के आक...
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॥उपनिषद॥ (रचयिता-नवीन रोहिला) निराकार है वा साकार क्या रूप है उस परम-आत्मा का। क्या है मूल कारण इस तन और निहित आत्मा का॥ क्या है यह व...
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"अद्वैतवाद् का मूलाधार" ( माण्डूक्योपनिषद् ) माण्डूक्योपनिषद् अथर्ववेदीय ब्राह्मण भाग के अन्तर्गत है। इसमें कुल बारह मन्त्र...

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