मंगलवार, 6 जुलाई 2021

अचिन्त्य के साकार रूप का आनन्द

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सेस गनेस महेस दिनेस, सुरेसहु जाहि निरंतर गावै।

जाहि अनादि अनंत अखण्ड, अछेद अभेद सुबेद बतावैं॥

नारद से सुक व्यास रटें, पचिहारे तऊ पुनि पार न पावैं।

ताहि अहीर की छोहरियाँ, छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं॥

---------------------------------// रसखान //-------------

 

उपनिषदों में शिव की महिमा



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